भारत में चूने का उपयोग बहुत ही प्राचीन है। चूने को वैज्ञानिक भाषा में कैल्शियम कार्बोनेट के नाम से जाना जाता है और अंग्रेजी में लाइम पाउडर कहते है। यह अपने कठोर गुण के कारण सदियों से विभिन्न कार्यो में प्रयोग किया जा रहा है। आयुर्वेद में भी इसके गुणों की अनेकानेक चर्चा मिलती है।
1. पीलिया – गेहूँ के दाने के समान चूने की मात्रा को एक गिलास गन्ने के रस में मिलाकर नियमित रूप से पिलाने पर पीलिया ठीक हो जाता है। इसी उपाय से नपुंसकता और गर्भधारण ना कर पाने की समस्या भी दूर होती है। लेकिन इस उपाय को आपको साल से डेढ़ साल तक नियमित करना पड़ेगा।
2. एनिमिया – सुबह खाली पेट अनार के जूस के साथ चुटकीभर चूने को मिलाकर पीने से रोगी जल्द ही रोगमुक्त हो जाता है। अनार का जूस उपलब्ध ना होने की स्थिति में किसी भी जूस या पानी में भी इसे लिया जा सकता है। इस मिश्रण से बुद्धिबल बढ़ता है और शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होता है।
3. हड्डियों को दे मजबूती – हमारी हड्डियाँ और दाँत कैल्शियम से निर्मित है अगर कैल्शियम की कमी तो इनमें भी कमजोरी। इस कमी की पूर्ति चूने से सरलता से की जा सकती है। यहाँ तक की टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की सबसे अधिक क्षमता चूने में है। आपको याद हो तो आज से 20-25 सालों पहले चूने से ही प्लास्टर किया जाता था। सुबह खाली पेट चूने के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है, कमर दर्द, पीठ दर्द, कंधे का दर्द, घुटने का दर्द, रीढ़ की हड्डी की सभी समस्या यहाँ तक की सबसे खतरनाक बीमारी स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या भी चूने से दूर हो जाती है।
4. दिमागी कमजोरी – जिन बच्चों में उम्र के हिसाब से बुद्धि का विकास नहीं होता या माइंड बराबर काम नहीं करता या सोचने-समझने की शक्ति धीरे काम करती है या उनका हर काम बहुत स्लो है या ऐसे मंदबुद्धि बच्चे जिनमें स्वयं का विकास ना के बराबर है तो चिंता ना करे। चूना ऐसे बच्चों के लिए रामबाण ही नहीं बल्कि अमृत का काम करेगा। ऐसे बच्चे को किसी भी रूप में गेहूँ दाने के बराबर चूना खिलाए, बहुत जल्द अच्छे हो जाएँगे।
1. पीलिया – गेहूँ के दाने के समान चूने की मात्रा को एक गिलास गन्ने के रस में मिलाकर नियमित रूप से पिलाने पर पीलिया ठीक हो जाता है। इसी उपाय से नपुंसकता और गर्भधारण ना कर पाने की समस्या भी दूर होती है। लेकिन इस उपाय को आपको साल से डेढ़ साल तक नियमित करना पड़ेगा।
2. एनिमिया – सुबह खाली पेट अनार के जूस के साथ चुटकीभर चूने को मिलाकर पीने से रोगी जल्द ही रोगमुक्त हो जाता है। अनार का जूस उपलब्ध ना होने की स्थिति में किसी भी जूस या पानी में भी इसे लिया जा सकता है। इस मिश्रण से बुद्धिबल बढ़ता है और शरीर में अतिरिक्त ऊर्जा का संचार होता है।
3. हड्डियों को दे मजबूती – हमारी हड्डियाँ और दाँत कैल्शियम से निर्मित है अगर कैल्शियम की कमी तो इनमें भी कमजोरी। इस कमी की पूर्ति चूने से सरलता से की जा सकती है। यहाँ तक की टूटी हुई हड्डी को जोड़ने की सबसे अधिक क्षमता चूने में है। आपको याद हो तो आज से 20-25 सालों पहले चूने से ही प्लास्टर किया जाता था। सुबह खाली पेट चूने के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती है, कमर दर्द, पीठ दर्द, कंधे का दर्द, घुटने का दर्द, रीढ़ की हड्डी की सभी समस्या यहाँ तक की सबसे खतरनाक बीमारी स्पॉन्डिलाइटिस की समस्या भी चूने से दूर हो जाती है।
4. दिमागी कमजोरी – जिन बच्चों में उम्र के हिसाब से बुद्धि का विकास नहीं होता या माइंड बराबर काम नहीं करता या सोचने-समझने की शक्ति धीरे काम करती है या उनका हर काम बहुत स्लो है या ऐसे मंदबुद्धि बच्चे जिनमें स्वयं का विकास ना के बराबर है तो चिंता ना करे। चूना ऐसे बच्चों के लिए रामबाण ही नहीं बल्कि अमृत का काम करेगा। ऐसे बच्चे को किसी भी रूप में गेहूँ दाने के बराबर चूना खिलाए, बहुत जल्द अच्छे हो जाएँगे।
कितनी मात्रा में और कैसे करे चूने का सेवन – गेहूँ के एक दाने के बराबर ही प्रतिदिन चूने का सेवन करे इससे ज्यादा नहीं। खाली पेट इसका सेवन अति उत्तम है। गन्ने के रस में, संतरे के रस में नहीं तो सबसे उत्तम अनार के रस में इसका सेवन किया जा सकता है। किसी भी रस की उपलब्धि ना हो तो दही, लस्सी, दाल, भोजन, दूध,फल या सबसे सरल पानी के साथ इसका सेवन कर सकते है। अगर आपमें खून की बहुत कमी है तो एक कप अनार के जूस में चूना मिलाकर खाली पेट कुछ दिन सेवन करे इससे शरीर में बहुत जल्द खून बनता है। जो भारतीय सिर्फ चूना लगा पान खाते है वे सच में बहुत चतुर है ऐसे लोग महर्षि वाग्भट के अनुयायी है। पान बिना तंबाकू, सुपारी और कत्थे के खाना चाहिए। तंबाकू जहर है तो चूना अमृत और कत्था कैंसर देता है जबकि चूना रोगमुक्ति। अगर पान खाना आपका शौक है तो पान में केसर, लौंग, सौंठ, इलायची, चुटकीभर चुना, गुलकंद, पीपरमेंट, कसा नारियल, सौंफ आदि डालकर खाए।
सावधानी – अगर आप पथरी की समस्या से पीड़ित है तो चूना किसी भी रूप में ना ले। ऐसे रोगियों के लिए यह नुकसानदायक है।
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